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Home > STUDENTS > Hindi Books > Sampatti Antaran and Bharatiya Sukhachar Adhiniyam > 2nd Edition, 2011 |
The work provides an exhaustive and dependable commentary on the existing law of Transfer of Property.
प्रसिद्ध विधि साहित्य लेखक डॉ० मुरलीधर चतुर्वेदी द्वारा लिखी विभिन्न श्रेष्ठ पुस्तकों में से एक ‘सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम १८८२ और भारतीय सुखाचार अधिनियम १८८२’ का यह नूतन द्वितीय संस्करण अपने नये कलेवर, साज़-सज्जा व अद्यतन उपयोगी सामग्री के साथ आपके हाथों में है। पुस्तक का यह संस्करण दो अलग खण्डों यानि सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम (भाग— I) व भारतीय सुखाचार अधिनियम (भाग— II) में विभाजित है जो पूर्व प्रकाशित संस्करण की तुलना में अधिक स्पष्ट और समझने में आसान है। लेखक द्वारा सन् २०१० तक के नवीनतम न्यायिक निर्णयों को आवश्यकतानुसार विभिन्न धाराओं में स्थान देकर और अधिक उपयोगी व जानकारीपूर्ण बनाने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त पुस्तक में जहाँ एक ओर सम्पत्ति अन्तरण व सुखाचार से संबंधित विधि के सिद्धांतों की सम्यक विवेचना की गई वहीं दूसरी ओर जटिल व तकनीकी विधिक शब्दों का निर्वचन अत्यन्त सरल ढंग से करने का प्रयास भी किया गया है।
उम्मीद है सरल, सहज व बोधगम्य भाषा में प्रकाशित पुस्तक का यह द्वितीय संस्करण निश्चित रूप से प्रतियोगी छात्रों, अधिवक्ताओं व न्यायाधीशों तथा विधि जगत से जुड़े अन्य स्तम्भों, पाठकों के बीच अधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
1. प्रारंभिक
2. पक्षकारो के कार्य द्वारा सम्पति - अंतरण के विषय में
3. स्थावर संपत्ति के विक्रयो के विषयो में
4. स्थावर संपत्ति के बंधको और भारो विषयो में
5. स्थावर संपत्ति के पट्टो के विषय में
6. विनिमयो के विषय में
7. दान के विषय में
8. अनुयोज्य दावो के अंतरण के विषय में
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