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वकालत या प्रैक्टिस करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के समक्ष सबसे पहली समस्या आती है कि किस क्षेत्र में प्रैक्टिस करें, सिविल या फिर क्रिमिनल। सिविल मामलों में प्रैक्टिस का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है किन्तु क्रिमिनल की आपेक्षा अधिक क्लिष्ट और कठिन भी है। दूसरी समस्या ये है कि वकालत की बारीकियाँ किस गुरु से सीखी जाएँ। विद्वान लेखक डॉ. बसन्ती लाल बाबेल की ये बहुपयोगी पुस्तक "ए गाइड टू सिविल प्रैक्टिस" इन्हीं सारी समस्याओं का एक समाधान है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने वकालत से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बातों का जि+क्र सरल और सहज भाषा मंे किया है। पुस्तक को वकालत के चरणबद्ध दस खण्डों में बाँटा गया है जिनमें प्रमुख हैं- अधिवक्ता एवं विधि व्यवसाय, सिविल न्यायालयों की अधिकारिता एवं सिविल प्रकृति के वाद, अभिवचन, वादों का प्रस्तुतिकरण, निर्णय-लेखन, नि:शुल्क विधिक सहायता, लोक अदालत एवं लोकहित वाद, साक्ष्य, परिसीमा, शीर्षस्थ न्यायालय एवं रिट अधिकारिता, दस्तावेज+ लेखन। प्रत्येक खण्ड में विषय से जुड़ी प्रचुर सामग्री दी गई है। इसके अतिरिक्त सन् २०१२ तक के न्यायालयी निर्णयों को स्थान दिया गया है।
पुस्तक में यथास्थान प्रारूप इत्यादि भी दिए गए हैं ताकि पाठकों को कठिनाई न हो। पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य अधिवक्ताओं को सिविल क्षेत्र में प्रैक्टिस करने के लिए प्रोत्साहित करना, विषय सामग्री को सरल भाषा में उपलब्ध कराना, सिविल मामलों की विचारण प्रक्रिया से अवगत कराना, तथा व्यवसायिक आचार संहिता के बारे में बताना तथा दस्तावेज+ लेखकन को सुगम बनाना है।
आशा ही नहीं वरन् विश्वास भी है कि यह कृति सिविल मामलों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति, अधिवक्ता, एवं न्यायिक अधिकारियों के लिए उपयोगी एवं सार्थक सिद्ध होगी।
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