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भारतीय दण्ड संहिता, 1860 का यह नवम् संस्करण पूर्णतः नए कलेवर, साज-सज्जा व अधुनातन परिवर्तनों को शामिल करते हुए प्रस्तुत किया जा रहा है। इस अंक में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 द्वारा अन्तःस्थापित तथा प्रतिस्थापित धारा परिवर्तनों को सम्मिलित करते हुए उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण विनिश्चयों को भी स्थान दिया गया है। पाठ्य सामग्री को और अधिक उपयोगी बनाने की दृष्टि से दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम तथा दण्ड संहिता के संदर्भ में प्रादेशिक स्तर पर होने वाले कानूनी बदलाव पर ख़ास ध्यान दिया गया है। धारावाही क्रम में लिखी गई ये पुस्तक विशद् टिप्पणियों, उदाहरणों, सारगर्भित विवेचनाओं से युक्त है, भाषा-शैली पहले के मुक़ाबले अधिक सरल व बोधगम्य है।
निःसंदेह देवनागरी लिपि में लिखी ये पुस्तक हिन्दी विधि जगत से जुड़े प्राध्यापकों, प्रतियोगी छात्रों के साथ-साथ न्यायालयी कार्यों से संबंध रखने वाले तमाम लोगों के लिए लाभप्रद और बहुपयोगी सिद्ध होगी।
Indian Penal Code (in Hindi) is an established work by a renowned author. The book presents a detailed section-wise analysis of the Indian Penal Code 1860. It also throws light on the general principles of penology and socio-economic crimes. The author has discussed important topics in detail such as abetment, conspiracy, culpable homicide, murder, kidnapping, robbery, theft, breach of trust etc. in the light of recent decisions of the various High Courts and the Supreme Court.
This book is the exact answer for anyone who is looking for detailed explanation of all the Sections of Indian Penal Code in a simple language. Indian Penal Code has been discussed both topic-wise and section-wise in this book. Each section is explained in a simple and lucid language with extensive cross-references and case law references. Important sections like Section 304, 306, 354, 504 have been explained in depth.
Similarly, all sections of the Indian Penal Code from Section 1 to Section 511 including the subsections, have been explained nicely with references to relevant case law.
1. The book presents a detailed section-wise analysis of the Indian Penal Code, of 1860 and also throws light on the general principles of penology and socio-economic crimes.
2. Important topics like abetment, conspiracy, culpable homicide, murder, kidnapping, robbery, theft, and breach of trust in light of recent decisions of the various High Courts and Supreme Court have been discussed.
इस पुस्तक के लेखक डाॅ. मुरलीधर चतुर्वेदी, एल एल.एम., पी एच.डी., पी.जी.डी.एल.एल. पूर्वान्चल विष्वविद्यालय, जौनपुर से सम्दद्ध तिलकधारी स्नातकोत्तर महरविद्यालय, जौनपुर के विधि संकाय में एक लम्बे समय से उपाचार्य (रीडर) के रूप में कार्यरत हैं और एक सफल तथा सर्वप्रिय प्राध्यापक हैं। भारत सरकार (विधि, न्याय और कम्पनी कार्य मंत्रालय) के विधायी विभाग द्वारा डाॅ. चतुर्वेदी की पुस्तकों "अपराध-षास्त्र एवं अप1राध-प्रषासन", "भारतीय दण्ड संहिता", "दण्ड प्रक्रिया संहिता", और "भारत का संविधान" पर राज पुरस्कार प्रदान किया गया है। उन्होंने कई सुप्रसिद्ध अंग्रेजी में लिखी गई विधि पुस्तकों का अनुवाद किया है। प्राचीन भारतीय विधि-व्यवस्थाः (मनुस्मृति के विषेष संर्दभ में) इनका एक अद्यतन प्रकाषित सुप्रसिद्ध षोध ग्रन्थ है।
इनके कई षोध पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाषित हो चुके हैं तथा इन्होंने विष्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा कई अन्य षिक्षा संस्थाओं द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय स्तर की विधि संगोष्ठियों में भाग लेकर अपना सक्रिय योगदान भी किया है। इस समय भी डा. चतुर्वेदी पठन-पाठन और लेखन कार्य में सक्रिय हैं। विधि की विभिन्न षाखाओं में संवैधानिक विधि, दण्ड-विधि, अपराध-षास्त्र और अपराध-प्रषासन तथा अपकृत्य विधि इनके प्रिय विषय हैं। इनका लक्ष्य और उद्देष्य अध्ययन, अध्यापन और लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्टता तथा उच्च स्तर को बनाये रखना है और इसी सिद्धान्त के अनुरूप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करना उनका विष्वास और प्रयत्न है।
अध्याय 1: प्रस्तावना
अध्याय 2: साधारण स्पष्टीकरण
अध्याय 3: दडों के विषय में
अध्याय 4: साधारण अपवाद
अध्याय 5: दुष्प्रेरण के विषय में
अध्याय 6: राज्य के विरुद्ध अपराधों के विषय में
अध्याय 7: सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधों के विषय में
अध्याय 8: लोक प्रशान्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में
अध्याय 9: लोक सेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराधों के विषय में
अध्याय 10: लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के विषय में
अध्याय 11: मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में
अध्याय 12: सिक्कों और सरकारी स्टाम्पों से सम्बन्धित अपराधों के विषय में
अध्याय 13: बाटों और मापों से सम्बन्धित अपराधों के विषय में
अध्याय 14: लोक-स्वास्थ्य, क्षेम, सुविधा, शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में
अध्याय 15: धर्म से सम्बन्धित अपराधों के विषय में
अध्याय 16: मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में
अध्याय 17: सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के सम्बन्ध में
अध्याय 18: दस्तावेजों और सम्पत्ति के विषय में
अध्याय 19: सेवा संविदाओं के आपराधिक भंग के विषय में
अध्याय 20: विवाह सम्बन्धी अपराधों के विषय में
अध्याय 21: मानहानि के विषय में
अध्याय 22: आपराधिक अभित्रास, अपमान और क्षोभ के विषय में
अध्याय 23: अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में
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